Neend Shayari | Hindi Quotes | नींद शायरी | कविता | कोट्स |
Neend Shayari | Hindi Quotes | नींद शायरी | कविता | कोट्स | में आप नींद के बारे में कुछ कवितायें या चंद पंक्तियाँ पढ़ते हैं। नींद से हम सभी का एक अपना अपना रिश्ता होता है। यूँ तो वैज्ञानिक सही नींद के कई फायदे बतातें हैं। पर ज़िन्दगी में हर किसी के नसीब में अच्छी नींद कहाँ।
कविता में नींद को कई रूपों में प्रस्तुत किया गया है। कभी ये किसी का इंतज़ार दिखता है, कभी मेहनत, कभी बेचैनी, और कभी महज़ एक अनदेखी की प्रतिमा।
कई रात आपने भी बिना नींद के बितायीं होंगी और उन रातों की हर बात आपको याद होगी ऐसा सौभाग्य केवल रात का ही है दिन का नहीं हो सकता।
प्यार में गायब नींद , परीक्षा के एक दिन पहले उडी नींद , या किसी विचार का रातों में जगाके रखना, कुछ इसी तरह से हम सभी को जोड़ती है ये नींद। कुछ ऐसी ही पंक्तियाँ हैं नींद के ऊपर, चाहे आप इन्हे कविता कह लीजिये या कोट्स । मकसद सबका एक ही है : आपके और हमारे बीच कोई रिश्ता कायम करना। चाहे फिर माध्यम नींद ही क्यों न बने।
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Neend Shayari | नींद शायरी और हिंदी कविता |
“इश्क मिला है coffee में या caffeine घुला है इश्क में,
इत्तफाक नहीं आंखों से नींद का यो नाराज हो जाना
रात भर बस ये करवटें हैं
इस राज की सिलवटें सुलझाने को ,
कि इश्क है या coffee
या
किसी विचार का रात भर मच्छर की तरह भिनभिनाना ।
जहां में मसले कुछ कम नहीं नींद उड़ाने को
शुक्र है कुछ पुरानी आदतों अब भी बरकरार है
जैसे वो किताबें खोलते ही नींद का आ जाना।”
सबसे बड़ी रात | हिंदी कविता |
नींद के इंतज़ार में बिताई गयी वो रात,
सबसे बड़ी रात होती है
जो रात अपने सन्नाटे में चीख – चीखकर पढ़ती है
तुम्हारी नकामियाबियों की एक लम्बी कतार
और
गिनाती है तुम्हारे साथियों की उपलब्धियां।
तुम ओढ़लेते हो बहानो का सुरक्षाकवच
पर चीखों के भाले भेदकर ही रहते हैं
तुम्हारे मस्तिष्क — तुम्हारे आत्मविश्वाश को।
तुम थोपने लगते हो
अपनी नकामियाबियों की वजह गैरों पर,
मढ़ने लगते हो अपना गुस्सा
चीज़ों पर , अपने अभावों पर
शायद सीखा नहीं है अभी तक
अपने आप से झूठ कहना ,
वरना यूँही नहीं होता है
सुबह के इंतज़ार में
सूरज का लाल रंग
आँखों में उतरना।।
हाँ सो रहा हूँ मैं: हिंदी कविता
हाँ सो रहा हूँ मैं,
लापरवाही की चादर लिये हुये,
बेफिक्री का आरामदायक बिछौना बिछाये हुए।
मेहनत से डरकर, छुपकर
सो रहा हूँ मैं।
आगे पढ़िए : हाँ सो रहा हूँ मैं
आलस्य: मेरे जीने का तरीका। हिंदी कविता।
आलसी नहीं मैं बस, पलट- पलट के सोने का मजा ही कुछ और है।
पांच मिनट के लिए सोता हूँ, पर दो घंटे बाद जागता हूँ।
ऑफिस की एक घंटे की दूरी , कूदते-फाँदते पैंतालीस मिनट में पूरी कर लेता हूँ।
आलसी नहीं मैं बस, पलट- पलट के सोने का मजा ही कुछ और है।
लोग कहते हैं की कमरा मेरा बड़ा अस्त-व्यस्त है,
आलसी तू इतना की कुम्भकर्ण भी तेरे आगे पस्त है।
अब क्या बताऊँ लोगों को, गुमी हुई चीज़ों को ढूंढ़ने का इससे अच्छा तरीका मुझे आता नहीं,
तरतीब से रखी चीज़ों से नाता, मुझे कभी भाता नहीं।
आगे पढ़िए : आलस्य मेरे जीने का तरीका