Locked Down: A Random Day
हालाँकि वर्क फ्रॉम होम मिला हुआ है ।
काम भी कर रहा हूँ ।
Even with Better Efficiency
पर दिमाग खुरापाती ढूंढ रहा है ।
क्या करूँ समझ में नहीं आ रहा है ।
हाथ – मुँह धोके जैसे मैं शीशे के सामने गया
मेरे प्रतिबिम्भ (अरे वो ओनिडा वाला याद है ) के सर पे दो सींग, पीछे पुँछ,
और होंठों पे एक विकेड सी स्माइल दिखी ।
मैंने उसे कहा शट अप काम बहुत पड़ा है । वो कर ।
काम करने अपने रूम पे जा ही रहा था
कि बिल्लू ( हमारी पालतू बिल्ली) को देखा
उसने दाल से भरा बर्तन गिरा दिया ।
मैं बर्तन उठाने को दौड़ा तो किसी ने मुझे रोक दिया ।
पीछे मुड़ के देखा तो वही प्रतिबिम्भ।
वो मेरे ऊपर हावी हो गया ।
अब मैं दौड़ के मम्मी के पास गया कहा
ये देखो भारत (मेरा छोटा भाई ) ने क्या कर दिया ।
अभी सुबह सुबह मम्मी और भारत के बीच कहा सुनी हुई थी
तो मम्मी को जरा सी देर नहीं लगी मानने में कि ये काम भारत ने ही किया है ।
Folks That’s How Psychology Works.
अब मम्मी गुस्से में झाङू लगाने लगी अरे फर्श में नहीं भारत पे ।
सच कहूं इतना मजा आया कि अंदाजा लगाना भी मुश्किल है ।
फ़र्ज़ करो आपकी सैलरी हर महीने कि तीस तारीख को आती है
अगर आज २६ तारीख को आजाये तो ।
ये ख़ुशी भी कुछ इस तरह कि थी ।
मेरे प्रतिबिम्भ ने कहा देख कितना मजा आया
और तू गधों कि तरह सच बताकर मजा किरकिरा कररहा था ।
जब भारत कि सफाई मेरा मतलब धुनाई ख़त्म हो गयी तो
मम्मी ने ब्रेक लेते हुए गुस्से में मिन्नी (मेरी छोटी बहिन) से चाय बनाने को कहा ।
मैं भी पानी पीने को किचन में चला गया ।
वो प्रतिबिम्भ फिर से मेरे अंदर घुस गया और
मैंने दूध के गिलास को मट्ठे के गिलास से बदल दिया ।
अब सीन ये है कि मम्मी ने झाड़ू अभी नीचे रखा नहीं ,
मैंने पॉपकॉर्न का पैकेट निकाल लिया है
अब मैं शो शुरू होने का इन्तिज़ार कर रहा हूँ ।
सच में एक दिन में इतनी ख़ुशी