आंखें, ये आँखें, हाय री आँखें।
क्या खेल है जो खेल रही है ये आँखें,
कभी बड़ी, कभी छोटी होके क्यों चिढ़ा रही ये आँखें
भौंहों को मटकाके, अपनी तरफ खींचती ये आँखें
जानता हुँ , चुपके चुपके देखती है, मुझे ये आंखें
मेरी नजरे पड़ते ही कही घूमती ये आँखें
बातों से मेरी शर्मा के झुकती ये आँखें
मुझे, अपना बनाती ये आँखें
दिखूं तो डूब ही जाऊँ ऐसी ये आँखें
ना हिंदी ना इंग्लिश, मोहबत की जबान हैं ये आँखें
कुछ तीर सी सीने में उतरती, मेरी कातिल, ये आँखें