HINDI POEMS | हिंदी कवितायेँ |
HINDI POEMS | हिंदी कवितायेँ | ऐसे ही कभी कागज कलम उठा लिया और शब्दों को एक साथ रखता चला गया गलती से कुछ लोगों ने देखा और कहा भाईसाहब तो आप कविता लिखते हो। मुझे पता नहीं कविता के क्या पैमाने होते हैं पर तब से शब्दों के साथ समय व्यतीत करना शुरू करदिया।
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HINDI POEMS | हिंदी कवितायेँ |
चाय के साथ एक कविता रोज़। यहाँ आप आज तक लिखी गयी, कागज कलम में मौजूद मेरी सारी कवितायें आसानी से पढ़ सकते हैं।
Vigyan Aur Prem | विज्ञान और प्रेम | कविता
विज्ञान बताता है, चन्द्रमा को उपग्रह
उसे महबूबा का अक्श बताएगा प्रेम।
विज्ञान बताता है, “रात का कारण” पृथ्वी का घूमना
उसे प्रेमिका की बिखरी जुल्फें बताएगा प्रेम।
विज्ञान बता सकता है गरज़ के साथ तेज़ बौछारें
सावन का झूमके आना बताएगा केवल प्रेम।
विज्ञान करा सकता है सक्सेस फुल बाईपास सर्जरी,
दिल तक पहुँचने का महीन रास्ता बताएगा प्रेम।
Vigyan Aur Prem | विज्ञान और प्रेम | कविता
Suno Hindi Poem
सुनो !
जरा संभलकर आना
बेतरतीब हूँ बेतरतीब सा मेरा कमरा।
बिखरी मिलेंगी किताबें,
कपडे, कागज कलम , बिल्कुल मेरी तरह।
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जश्न-ऐ दहशरा : Hindi poem
ये जश्न-ऐ दहशरा है भाई ,
मनाने के लिए बड़ी समझ चाहिए।
कब तक रावण की हार मनाएं,
कभी तो राम की जीत मनानी चाहिए।
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अरहर की दाल: Trying to fit in
Trying to fit in में हमने न जाने कितने झूठ बोले हैं,
हर झूठ सच है ऐसे कई झूठ अपने से भी बोले हैं,
ये so called ” सच ” marketing का एक हिस्सा है।
Read the room का important एक किस्सा है।
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बारिश का मौसम | Hindi Poem
जुलाई का महीना,
बारिश का मौसम,
पानी की झमझमाहट,
और बरामदे में ऊंघ रहे कुछ उदासीन रिश्ते।
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Pakshi Par Kavita
एक पंछी उड़ चला आज़ाद ख़्वाबों के पीछे,
जिस डाल पर बैठा घर बनाता चला गया।
जिससे मिलता गया अपना मुरीद बनता चला गया।
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Hindi Poems on Environment
भारत एक ऋतुओं का देश और
हर ऋतु में भी अलग- अलग मौसम
हर मौसम का अपना अपना मिज़ाज़
किसी अनदेखे नए मौसम को मैं नहीं जानता मैं नहीं मानता।
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अहम् ब्रह्मास्मि ! Hindi Poem
अहम् ब्रह्मास्मि !
मैं ही हूँ दुनिया का सबसे बडा रचनाकार
मैंने ही बांधे हैं दरिया को लांगने को पुल
नदियों को उनकी औक़ात में रखने के लिए बाँध
मेरे ही आदेश पर मुडती है नदियां जिधर चाहूँ उधर ।।
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तुम्हे पहाड़ घुमाते हैं: Hindi Kavita
अरे एडवेंचर्स के शौकीनों
ट्रैकिंग, राफ्टिंग, बंजी जंपिंग
जैसे महंगे नशे तो खूब किये होंगे तुमने
चलो तुम्हे सस्ते एडवेंचर का नशा कराते हैं
आओ बस से तुम्हे पहाड़ घुमाते हैं।
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Pahad Mera Ghar: Hindi Kavita
आंखें सुर्ख, नींद अधूरी
जैसे किसी सपने का क़त्ल करके आया हो,
चेहरे पे तल्खियों की सलवटें,
बातों में वो चिड़चिड़ापन
जैसे खुशियों का गला दबाके आया हो,
पर टीकेँ हैं,
एक दिन घर जाने के ख्वाहिश लिए
जिंदगी की कश्मकश में मजबूती से टीकेँ हैं,
पहाड़ बोला पहाड़ियों से : Hindi Kavita
पहाड़ बोला पहाड़ियों से
बेटा सीधा हूँ सख्त हूँ, तभी तो अपनों से विरक्त हूँ।
कुछ जा चुके छोड़के, तुम भी चले जाना मुँह मोड़के।
पहाड़ बोला पहाड़ियों से : Hindi Kavita
Neend Shayari : Hindi Quotes
“इश्क मिला है coffee में या caffeine घुला है इश्क में,
इत्तफाक नहीं आंखों से नींद का यो नाराज हो जाना
रात भर बस ये करवटें हैं
इस राज की सिलवटें सुलझाने को ,
कि इश्क है या coffee
या
किसी विचार का रात भर मच्छर की तरह भिनभिनाना ।
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Gulzar Poetry Hindi lyrics
” कभी तो चौंक कर देखे कोई हमारी तरफ,
किसी की आँख में हमको भी इंतज़ार दिखे। “
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Famous Poem In Hindi
बोस्की,
ब्याहने का समय अब करीब आने लगा है
जिस्म से, छूट रहा है कुछ कुछ
रूह में, डूब रहा है कुछ कुछ
कुछ, उदासी है,सुकूं भी
सुबह का वक्त है, पौ फटने का,
या झुटपुटा शाम का है
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Koi Chahiye: Hindi Poem
जहाँ मैगी के दीवानों को
हर चीज़ दो मिनट में चाहिए,
उस जनरेशन में मुझे,
इंतज़ार का मज़ा
समझने वाला कोई चाहिए।
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Kuch Pahad Kandho Par Kuch Bele Pairon Par: A Hindi Poem
कुछ पहाड़ कन्धों पर हैं कुछ बेले पैरों पर ,
कुछ पहाड़ कन्धों पर हैं कुछ बेले पैरों पर ,
और रोकती रहेंगी कुछ कागज़ों की जरूरतें भी,
पर तुझसे मिलने आता रहूँगा मेरे पहाड़,
जानता हूँ अपना तो लेगा ही तू।
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Aanshu | A Hindi Poem
अब matured हो गये है दर्द के आंसू
बड़े से बड़ा दर्द बिन बहे झेल लेते हैं।
नादान तो ये खुशी के आंसु है
बिन बात ही लुढ़क आते हैं।
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न मैं तुझसे कुछ ज्यादा न तू मुझसे कुछ कम रहे: A Hindi Poem
न मैं तुझसे कुछ ज्यादा न तू मुझसे कुछ कम रहे।
मैं तेरी रूह में झांकता रहूं
तू भी मेरा मन टटोलती रहे
आँखों में तेरी अपना इंतज़ार देखूं
और मेरे हाथो की चाय भी थकान तेरी मिटाती रहे।
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वो बेपरवाह हँसी, शर्मीली मुस्कुराहट में बदलने लगी: A Hindi Poem
वो बेपरवाह हँसी, शर्मीली मुस्कुराहट में बदलने लगी ,
खूबसूरत से वो और भी ख़ूबसूरत होने लगी।
पर मेरे कन्धों से कन्धा मिलाकर चलने वाली कुछ दूर चलने पर ही अब थकने लगी।
जब पूछूं क्या हुआ ?
तो वो वो बेपरवाह हँसी, शर्मीली मुस्कुराहट में बदलने लगी ।
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Chai Peene Ke Bahane Se: A Hindi Poem
चाय पीने के बहाने से,
जब जा पहुंचे इन पहाड़ों में,
खो चले इन नज़ारों में,
दूर होती सबकी निगाहों से
होके सवार हम स्कूटी में
जब जा पहुंचे इन पहाड़ों में,
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नर को अपना सहचर है माना: Hindi Poem
नभ-तरु-सरोवर-भूधर,
सब है नर के सहचर
है ये सब कुदरत के दिए,
मानव के हर्ष के लिए
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Dard Ka Ye Roop Pahli Baar Dekha Maine: A Hindi Poem
दर्द का ये रूप पहली बार देखा मैंने,
किसी की आँखों से छलकता,
कही लावा बनके धधकता देखा मैंने
जज्बातों का सैलाब,
Social Media में उमड़ते देखा मैंने।
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Rabbit and Tortoise Story: A Story On Traffic
खरगोश और कछुए की कहानी अब हुई पुरानी,
नया जमाना है तो नयी है कहानी।
पर रेस की वजह है, कुछ जानी पहचानी,
कौन है कितना तेज, किसकी चाल में है परेशानी।
इस कहानी में 4-Wheelers हैं अभिमानी,
तो उन्हें चैलेंज देके हमने भी कर दी है नादानी।
एक्सेलेटर पर जोर और मुझ पर धूल उड़ाकर जो की शैतानी,
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Ak Jungle Hai Phoolon Ka: A Hindi Kavita
एक जंगल है फूलों का
हर फूल अपनी खुशबु लिए दूसरे से मिल रहे हैं
पर खुशबुओं की एक दुसरे को जीतने की कोशिश में
मदहोश हम हो रहे हैं।
Ak Jungle Hai Phoolon Ka: A Hindi Kavita
Daali Daali Phoolon Ki: A Hindi Poem
मत सुन रे मुसाफ़िर
इन डाली- डाली फुलों की
मत सुन रे मुसाफ़िर
इन डाली- डाली फुलों की
जो तुझको बुलाते हैं
मुझ पहाड़ में ।
क्योंकि गन्दगी मिटती नहीं मिटाने से
जो छोड़ जाते हो तुम मुझ पहाड़ में।
Daali Daali Phoolon Ki: A Hindi Poem
Ye Raasta Mujhe Jaanta Hai: A Hindi Kavita
ये रास्ता मुझे जानता है मुझको पहचानता है।
सड़कों से मुलाकात तो आज की है पर
इन पगडण्डियो में मेरा बचपन महकता है ।
ये रास्ता मुझे जानता है, मुझको पहचानता है।
रुखी थी पगडण्डिया कि इन पर कोई चलता नहीं
दिन बार त्योहार गुजरे पर इन से कोई मिलता नहीं।
Ye Raasta Mujhe Jaanta Hai: A Hindi Kavita
Change: पता नहीं कब
समझदारी का ये चोला, पता नहीं कब औढ़ लिया
गंभीरता ने चेहरे की मासुमियत छिन्नकर,
खुशियों से, पता नहीं कब मुँह मोड़ लिया
Tiddiyon Ke Hamle: A Hindi Poem
टिड्डियों के हमले नये नहीं
न जाने क्यों जाने पहचाने लगते हैं।
जिस जगह से उड़ते हैं
पूरी की पूरी हरियाली चटकर जातें हैं।
जिस तरह से जंगल के जंगल सारे के सारे कट जाते हैं।
Tiddiyon Ke Hamle: A Hindi Poem
Chai Ke Bartan, Khaane Peene Ke Bartan: A Hindi Poem
” चाय के बर्तन,
खाने पीने के बर्तन
बस इतने से ही तो है
धोने के बर्तन
Chai Ke Bartan, Khaane Peene Ke Bartan: A Hindi Poem
Main Nhi Jaanta Main Nhi Maanta: Hindi Kavita
भारत एक ऋतुओं का देश और
हर ऋतु में भी अलग- अलग मौसम
हर मौसम का अपना अपना मिज़ाज़
किसी अनदेखे नए मौसम को मैं नहीं जानता मैं नहीं मानता।
ऐसी अनदेखी में एक नया मौसम परिचित हो रहा है
अवधि बढ़ने के साथ जो ऋतु बनता जा रहा है।
ऐसी नई ऋतु को मैं नहीं जानता मैं नहीं मानता ।
Main Nhi Jaanta Main Nhi Maanta: Hindi Kavita
Cat Love: Hindi Poem
चोर नहीं
वो चोरी उसके शब्दकोष में नहीं,
जानवर है मेरी बिल्ली, इंसानो की फितरत में अभी रमी नहीं,
मेरी गैर मौजूदगी में भी दूध में पतीले पे वो मुँह तक मारती नहीं,
चोर चोर कहते हो तुम शायद चोर तुमने अभी देखे नहीं,
विश्वास पे घात लगाए रहते हैं शुक्र करो तुम उनसे अभी मिले नहीं ।
Eyes That Make Uncomfortable
चील – गिद्धों की ये आँखें
इंसानी तो नहीं लगती ये आंखें
जिस्म पे जोंक सी चिपकी ये आँखें कि आज कुछ नोच खाएंगे ये आँखें
कंधे पे दिखी हल्की सी स्ट्रिप और न जाने क्या क्या सोच लेती ये आँखें..
Rose : A Story On Eve Teasing
भौंरा : ये तल्खी ये मिज़ाज़ ये बेरुखी
ये गुरुर बता ऐ गुलाब तू लायी कहाँ से
गुलाब: ये अदा है जनाब
कांटो के बीच पलने से हमे आयी है .
भौंरा : ये कांटो का दामन जो ओढे हुए हो
क्या कोई घाव सीने में लिए गढे हुए हो
क्या पत्थर की मूरत हो चुबता नहीं है
या आँखों से पानी बरसता नहीं है
Woman: Beyond Definition
कौन हूँ मैं ?
दुर्गा, काली, सीता का अभिमान मैं,
या किसी के पैर की जुती का स्थान मैं।
कौन हूँ मैं ?
कवि की रचना का फूल मैं,
या पैदा होने से पहले कुचली, वो कली मैं।
Father Son Hindi Poem: Beating
हेय सुनो। क्या तुमने भी मेरी तरह मार खायी है।
कहीं से पिट के आये हो या किसी को पीट के आये हो।
दोनों ही सूरत में घर जाकर, मूरत केवल तुम्हारी ही बिगड़ी हो।
Father Son Hindi Poem: Beating
Understanding: समझ A Hindi Poem
समझ को समझने की समझ मैं लाऊँ कहाँ से,
घड़े को तो बनते हुए देखा है सभी ने
हाथों में वो सख्ती वो नरमी मैं लाऊँ कहाँ से,
ये जरूरत की चीज़ें दुकानों में बिकती कहाँ है
न किताबों में, न पैसों में तो ये मिलती कहाँ है।
Understanding: समझ A Hindi Poem
Child And Pressure To Perform : A Hindi Poem
अभी तो अंकुरित हुआ है बीज, बनना है इसे तरुवर,
अपने ज्ञान की समझ से मत कम कर इसके विकास की दर,
माना लगाया है तूने ये बीज, लेकिन समझ ना अपना ये अधिकार,
जब भी मांगेगा तभी मिलजायेगा तुझे फूल, फल, या आहार,
Child And Pressure To Perform: अंकुरित बीज और उस पर आस का बोझ
The War: Stand for the truth
युद्ध जो विशुद्ध है
फिर बुध का प्रबुद्ध छोड़
रण से तू कभी न मुख मोड़ना।
शंखनाद है बजा, प्राण हथेली में सजा
पर पीठ दिखाके तू कभी न भागना।
Kalam: कुछ दिनों से कलम मेरी, खुदा खुद को है समझने लगी।
कुछ दिनों से कलम मेरी,
खुदा खुद को है समझने लगी।
माशूका को सलाम खत में पैगाम लिख
कईओं की सुलगाने लगी।
रात भी जल ऊठे, जुल्फों से उसकी
चाँद भी सँवारे खुद को, देख वो चेहरा नूरानी
हवा भी चाहे झूलना, उन मनचली लटों में
इश्क़ भी इबादात सी है, लगने लगी,
इस करिश्मे को अंजाम देकर,
क्या खुदा खुद को है समझने लगी।
Kalam: कुछ दिनों से कलम मेरी, खुदा खुद को है समझने लगी।
FOG: धुंध जो हटती नहीं
पहले तो ये धुंध काफी घना है
ऊपर से मेरा चश्मा भी भाप से सना है
अब तो न नज़र है न नज़ारे
बस अन्दाज़े से यूँही जिन्दगी की सड़क पे चल रहा हूँ
इस बात से बेखबर कि मुसीबतों की गाड़ियां मेरी तरफ दौड़ी चली आरही हैं .
Pollution Hindi Poem
एक शाम वो अपने घर फलक से निकला
तो आज तक वापिस नहीं लौटा…
ढूंढा बहुत पर कोई सुराग हाथ न लगा
सोचा FIR लिखवालुं पर कोई सुद लेना वाला ही नहीं..
आज पन्द्र वान दिन है