ऐ काल तेरा काल दिखाने महाकाल आरहे हैं,
अपनी औकात भूलकर , तुझे धुल चटाने इसी साल आ रहे हैं।
डरा था मैं THANOS देखकर तेरी काया,
तेरी चुटकी बजाने पर जब अजीब सा सन्नाटा छाया।
सूरज को निगला, जब भयानक अँधेरा बनकर राहु का साया
आधे जग ने जब रोते – बिलखते अपनों को खोया।
पर मौत का ये नंगा नाच , अब मेरे डर को भी मार आया
जब हाथों से छूटते हाथों को मैं पकड़ न पाया
ऐ काल तेरा काल दिखाने महाकाल आरहे हैं,
अपनी औकात भूलकर , तुझे धुल चटाने इसी साल आ रहे हैं।
सुना। … सुना। … कुछ
बज चुकी है अब रण की भेरी
हमने भी करली है अपनी तैयारी पूरी
हाथो से लड़ेंगे, तीर – कमान, हथौड़े से लड़ेंगे,
गुस्से से, इंतकाम से लड़ेंगे,
ढाल से या अपने लोहे के कवच से लड़ेंगे।
हँस मत पगले,
याद रख हम पूरे जी जान से लड़ेंगे।
क्या पूछा था तूने : WHAT BRINGS YOU HERE?
दर्द!
अपनों को खोने का वो दर्द जो तेरी आँखों से छ्लक नहीं पाया ,
उसी दर्द को नासूर बनाकर अपनी औकात बताने आरहे हैं।
ऐ काल तेरा काल दिखाने महाकाल आरहे हैं,
अपनी औकात भूलकर , तुझे धुल चटाने इसी साल आ रहे हैं।
चुटकी बजा या बजा अब ताली।
गिड़गिड़ा या भीख माँग, नहीं तेरी जान बचने वाली,
तेरी शक्तियों के तुफानो का शोर,
इनके चेहरों के सन्नाटों में कहीं गुम है होने वाली।
ऐ काल तेरा काल दिखाने महाकाल आरहे हैं,
अपनी औकात भूलकर , तुझे धुल चटाने इसी साल आ रहे हैं।