Achhaa ji
1:
सच्ची महोब्बत का ये दुश्मन बरसों से ये जमाना है
तेरी मेरी मोहोबत तो इनके लिए बस एक फ़साना है
ठंड ने जो ये आलस नींद का जो बुना ताना बाना है
मेरे लिए तो सच्ची मोहोब्बत
पर ऑफिस वालों के लिए तो ये केवल एक बहाना है
तो मत खींच यों अपनी बाँहों में मुझे ये रजाई
मुझे अभी ऑफिस भी तो जाना है
2:
कोई पकोड़े तो तल दो चाय के साथ
कि आज रजाई की बाहें छोड़ने का मन नहीं
माना आलसी हैं पर
सर्दियों की पहली बारिश की सुबह का स्वागत करने का
इससे अच्छा तरीका नहीं